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________________ प्रश्न ६८ इस मन्त्र के प्रतीकात्मक रंगों के माध्यम से हमारे अन्दर कैसी प्रतिक्रिया होती है? उत्तर : मन्त्रस्थ रंगों के माध्यम से हम प्रकृति से जुड़कर सहज हो जाते हैं । व्यापक हो जाते हैं । फिर स्वयं में लीन होकर अलौकिक शान्ति का अनुभव करने लगते हैं । सिद्धिपथ के लिए रंग साधन हैं । शब्द (ध्वनि) से रंग, रंग से ध्यान और प्रकाश (एकाग्रता) और यह एकाग्रता ही तप रूप होकर - आत्मोपलब्धि कराती है। इस महामन्त्र के रंगमूलक अध्ययन (जाप) से अनेक लाभ है - उदाहरणार्थ कतिपय ये हैं - १. प्रकृति से निकटता - स्वयं में प्रकृति के समान व्यापकता (आत्मा का सहजता में निमज्जन) शब्द से शब्दातीत होने में रंग सहायक है । रंग साधन मात्र है - सिद्धि की अवस्था में ये स्वतः उपलब्ध हो जाते हैं। तीर्थंकरों के देह रंग प्रतीकात्मक शैली में बताए गये हैं । ध्यान के लिए आकृति और रंग आवश्यक है। रंग चिकित्सा का महत्व तो है ही । णमोकार मन्त्र से सम्बन्धित पद के जाप से शरीर के रंगों की कमी पूरी की जा सकती है । रंगों की शुद्धि से निर्मलता आएगी। अ. इन्द्र धनुष के सात रंगों का महत्व आ. रंग चिकित्सा (Colour therapy) का महत्व इ. मणि चिकित्सा द्र्श्व Therapy का महत्व २. स्व. डॉ. नेमीचन्द ज्योतिषाचार्य का मत भी यही है । 1 204
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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