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उत्तर:
प्रश्न ६६ णमो शब्द की ध्वनि तत्व के आधार पर व्याख्या
कीजिए। वर्ण - उच्चारण स्थान ण् - मूर्धा अ . कंठ म् - ओष्ठ
ओ - अर्थोष्ठि (आधा खुला मुँह) निष्कर्ष - मूर्धा और अर्थोष्ठ ध्वनियाँ शारीरिक ऊर्जा से आरम्भ होकर
आत्मिक ऊर्जा में बदलती है । भक्त का मन परम शान्त अवस्था में आ जाता है । कंठ और ओष्ठ मध्यस्थिति में रह कर सहस्रार चक्र गामिनी मूर्धन्य ध्वनि का साथ देते हैं । मन्त्र ध्वनियों के उच्चारण से उनकी विशिष्टता के कारण सम्पूर्ण शरीर में पवित्र
स्पन्दन होता है और कर्ममल नष्ट होता है । प्रश्न ६७. महामन्त्र में कितने स्वर और कितने व्यंजन हैं? उत्तर : स्वर ३४ और व्यंजन ३० = ६४ (वर्ण)
स्वर ३५ और व्यंजन ३३ = ६८ मन्त्र में कुल ३५ अक्षर हैं
बीजाक्षर ६८ हैं। स्पष्टीकरण - ६४ वर्गों के विषय में ध्यातव्य है कि प्रथम पद के णमों के बाद
के अ का लोप । संयुक्त व्यंजन भी १ ही चार नही अ और संयुक्त व्यंजनों को मान लेने से स्वर और व्यंजन ........
३३
६८
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