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महामन्त्र णमोकार पर आधारित
१०८ प्रश्न और उनके उत्तर नोट : प्रथमत: प्रश्न का उत्तर संक्षिप्त, सन्तुलित और प्रतियोगिता के स्तर
पर है । उसके बाद उस उत्तर पर स्पष्टीकरण दिया गया है। प्रश्न १. परमेष्ठी शब्द का अर्थ बताइए। उत्तर : जो परम पद में (आध्यात्मिक) स्थित हो उसे परमेष्ठी कहते हैं । स्पष्टीकरण- सिद्ध परमात्मा तो परम पद प्राप्त कर ही चुके हैं । अरिहन्त
परमात्मा सन्निकट भविष्य मे मोक्ष प्राप्त करेंगे यह सुनिश्चित है । वे चार घातिया कर्मों का क्षय कर चुके हैं । शेष तीन परमेष्ठी उक्त मार्ग में रत हैं (गुरु हैं अभी संसारी हैं) और मुक्ति प्राप्त करेंगे ऐसा पूर्ण निश्चय है अत: उन्हें भी परमेष्ठी कहा गया है। ये तीनों
मुनि हैं । महामन्त्र के पाँचों पद परम पद माने गये हैं। प्रश्न २. णमोकार मन्त्र को महामन्त्र क्यों कहा जाता है?
अ. इहलोक और परलोक का सुधारक है । आ. समस्त जिनवाणी का सार है। इ. इसमें गुणों का नमन है - व्यक्ति का नहीं, अतः यह
सार्वदेशिक एवं सार्व कालिक है । यह नमन (विनय) प्रधान है और विनय (सद् भक्ति)
सम्यग्दर्शन का मूल कारण है।
उ. मन्त्र प्रायः सीमित, लौकिक एवं व्यक्ति परक होता है । प्रश्न ३. इस महामन्त्र का रचनाकाल क्या है?
अ. यह अनादि अनन्त महामन्त्र है (भाव के स्तर पर) आ. भाषा के स्तर पर सुदीर्घ काल में इसमें परिवर्तन संभव
हो सकता है । यह सूत्र अक्षर संयोजन है । इ. शिला लेखों के आधार पर ई.पू. ३ री शती इसका
समय है।
उत्तर
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उत्तर