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________________ णमोकार महामंत्र के अक्षर और तत्त्व अक्षर वायु वायु . 4. णमो गा & # AARTI ARYA . 44 तत्त्व या 1. णमो आकाश आकाश आकाश अग्नि पृथ्वी आकाश जल वायु ज्झा पृथ्वी आकाश वायु आकाश आकाश जल 5. णमो आकाश पृथ्वी पृथ्वी आकाश वायु 3. णमो आकाश जल आ वायु वायु जल अग्नि आकाश आकाश सम्पूर्ण मंत्र में पृथ्वी तत्त्व-4, जल तत्त्व-5, अग्नि तत्त्व-2 वायुतत्त्व-7 और आकाश तत्त्व-12 है। संपूर्ण महामंत्र के तत्त्वों की संख्या पर ध्यान दें तो सबसे अधिक संख्या (12) आकाश तत्त्व की है। (आकाश तत्त्व आध्यात्मिक उन्नयन में परम सहायक होता है। और निरंतर शारीरिक तथा मानसिक पवित्रता संचारित करता है। यह सभी पदों में है। प्रथम और अंतिम पद में इसकी संख्या 3-3 है। वायु तत्त्व भी पूरे मंत्र में कुल संख्या 7 है। यह तत्त्व सूक्ष्म और व्यापक है। शरीर में वायु तत्त्व की रक्षा और पूर्ति करता है। जल तत्त्व की मंत्र-पदों में कुल संख्या 5 है। यह तत्त्व आकाश और वायु की अपेक्षा स्थूल है और प्रवाह तथा शमन का प्रतीक है। शरीर में तेज, ऊष्मा एवं सहनशीलता और द्रढ़ता के प्रतीक है। जल र G. P 21738
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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