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णमोकार मन्न का माहात्म्य एवं प्रभाव 1532 शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि सम्मेद शिखर की वंदना करने वाले को तियंच/नरक गति नहीं मिलती। प्यास के कारण यदि मैं आर्तभाव से
मरूंगा तो तिथंच गति में जाऊंगा, मेंढक बनूंगा; क्या शास्त्र में लिखा मिथ्या हो जाएगा? थोड़ी देर बाद एक यात्री उधर से निकला और उसने बताया कि पास ही में एक तालाब है। वर्णीजी वहां गए, पास में छन्ना था ही, पानी छानकर पिया । प्यास शान्त हो गयी। याद आया कि पहले भी उन्होंने यहां परिक्रमा की थी, तब तो यह तालाब था नहीं। गौर से देखने पर न तो वहां आस-पास आगे-पीछे वह यात्री था, न तालाब, लेकिन प्यास अब बुझ गयी थी और परिक्रमा में उत्साह आने लगा था। -सिंघई गरीब दास जैन (64 वर्ष) कटनी (म.प्र)
2. णमोकार मन्त्र को मैं अपने जीवन का मूल-मन्त्र मानता हूँ। 'जब कभी मुझे ऐसा लगता है कि मैं किसी कठिनाई में फंस गया हं, उस समय यह मन्त्र मुझे बड़ी शक्ति देता है। मैं ऐसा मानता हूं कि जैसे कहीं कोई विद्यत् कौंध जाती हो, कोई इलेक्ट्रिक वेव आकर मिल जाती हो, उसी तरह से मेरे मानस पर भीतर और बाहर जब मैं देखता हूं, इस मन्त्र का ही प्रभाव मानता हूं।
-देवेन्द्र कुमार शास्त्रो, नीमच (म०प्र०) 3. अद्भुत प्रभाव/महान् लाभ-इस मन्त्र का जाप करते समय अपूर्व आनन्द की अनुभूति होती है। मैं एक सांस में जप करता है। मैंने जीवन के उन क्षणों में भी जप किया है जव विघ्न-बाधाओं की घटाएं उमड़-घुमड़कर छायी थीं। पर जाप करते ही दाक्षिणात्य पवन की तरह वे कुछ ही क्षणों में नष्ट हो गयी थीं।
जीवन में मैं शताधिक वार इस मन्त्र का अद्भुत प्रभाव देख चुका हूं।
-देवेन्द्र मुनि शास्त्री (49 वर्ष), उदयपुर 4. अनुभूति अभिव्यक्ति से परे-इसके जाप से मन में शान्ति और एकाग्रता की जो अनुभूति होती है, वह अभिव्यक्ति से परे है। जब भी जीवन में बाधाएं आयीं, उस समय प्रस्तुत मन्त्र के जाप से वे उसी तरह नष्ट हो गयी और ऐसा लगा कि सूर्योदय से अन्धकार नष्ट हो जाता है।
-राजेन्द्र मुनि (26 वर्ष) उदयपुर 5. मन्त्रोच्चारण का प्रभाव-मन्त्रोच्चार से चित्त में प्रसन्नता. परिणामों में मग्नता और निर्मलता आती है। पर्वत की चोटी पर,