SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 142
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ णमोकार मन्त्र का माहात्म्य एवं प्रभाव 81418 अन्यथा शरणं नास्ति त्वमेव मम। तस्मात् कारुण्य भावेन रक्ष रक्ष जिनेश्वरः ।।४।। वंदों पांचों परम गुरु सुर गुरु वन्दन जास। विघन हरन मंगल करन, पूरन परम प्रकाश ॥9॥ उक्त पद्यों का मथितार्थ यह हैपंच नमस्कार महामन्त्र का स्मरण अथवा पाठ करने वाला श्रद्धालु भक्त पवित्र हो, अपवित्र हो, सोता हो, जागता हो, उचित आसन में हो, न हो फिर भी वह शरीर और मन के (बाहरी-भीतरी) सभी पापों से मुक्त हो जाता है। उसका शरीर और मन अद्भुत पवित्रता से भर जाता है। मानव का यह शरीर लाख प्रयत्न करने पर भी सदा अनेक रूपों में अपवित्र रहता ही है, प्रयत्न यह होना चाहिए कि हमारी ओर से पवित्रता के प्रति सावधान रहा जाए। इस शरीर से भी हजार गुना मन चंचल होता है और पाप प्रवत्ति में लीन रहकर अपवित्र रहता है। केवल णमोकार मन्त्र की पवित्रतम शरण ही इस जीव को शरीर और मन की पवित्रता प्रदान करती है। यह मन्त्र किसी भी अन्य मन्त्र या शक्ति से पराजित नहीं हो सकता, वल्कि सभी मन्त्र इसके अधीन हैं । यह मन्त्र समस्त विघ्नों का विनाशक है। समस्त मंगलों में प्रथम मंगल के रूप में सर्व-स्वीकृत है। महत्ता और कालक्रम से इसकी प्रथमता सुनिश्चित है। इस मन्त्र के प्रभाव से विघ्नों का दल, शाकिनी, डाकिनी, भूत, सर्प, विष आदि का भय क्षण भर में प्रलय को प्राप्त हो जाता है। यह मन्त्र समस्त संसार का सार है। त्रैलोक्य में अनुपम है और समस्त पापों का नाशक है। विषम विष को हरने वाला और कर्मों का निर्मूलक है। यह मन्त्र कोई जादू-टोना या चमत्कार नहीं है, परन्तु इसका प्रभाव निश्चित रूप से चमत्कारी होता है। प्रभाव की तीव्रता और अनुपमता से भक्त आश्चर्यचकित होकर रह जाता है। यह मन्त्र समस्त सिद्धियों का प्रदाता, मुक्ति सुख का दाता है, यह मन्त्र साक्षात् केवलज्ञान है। विधिपूर्वक और भाव सहित इसका जाप या स्मरण करने से सभी प्रकार की लौकिक-अलौकिक सिद्धियां प्राप्त होती हैं।
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy