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________________ योग और ध्यान के सन्दर्भ में णमोकार मन्त्र 10982 किसो को सिद्ध महापुरुषों की कृपा से, और किसी को सूक्ष्म ज्ञान विचार द्वारा। लोग जिसे अलौकिक शक्ति या ज्ञान कहते हैं, उसका जहां कुछ प्रकाश दृष्टिगोचर हो तो समझना चाहिए कि वहां कुछ परिमाण में यह कुंडलिनी शक्ति सुषुम्ना के भीतर किसी तरह प्रवेश कर गई है । कभी कभी अनजाने में मानव से कुछ अद्भुत साधना हो जाती है और कुंडलिनी सुषुम्ना में प्रवेश करती है। उल्लिखित विवेचन अनेक विद्वानों और सन्तों के सुदीर्घ चिन्तन और अनुभव का सार है। इससे स्पष्ट है कि हमारे अन्दर एक सर्वनियन्त्रक सूक्ष्म शक्ति है जो प्राय: सुषुप्त अवस्था में रहती है। मानव के चैतन्य में इसका जागृत होना परम आवश्यक है, परन्तु प्रायः सभी प्राणी इस शक्ति को समझ ही नहीं पाते हैं। अलग-अलग धर्मों ने इसे अलग-अलग नाम दिये हैं। ब्रह्मचर्य और मानसिक पवित्रता इसके जागरण के प्रमुख आधार हैं। ब्रह्मचर्य सर्वोपरि है-मानव शरीर में जितनी शक्तियां हैं उनमें ओज सबसे उत्कृष्ट कोटि की शक्ति है। यह ओज मस्तिष्क में संचित रहता है। यह ओज जिसके मस्तिष्क में जितने परिमाण में रहता है, वह मानव उतना ही अधिक बली, बुद्धिमानी और अध्यात्मयोगी होता है। एक व्यक्ति बहुत सुन्दर भाषा में बहुत सुन्दर भाव व्यक्त करता है परन्तु श्रोतागण आकृष्ट नहीं होते। दूसरा व्यक्ति न सुन्दर भाषा प्रयोग करता है और न सुन्दर भाव ही व्यक्त करता है, फिर भी लोग उसकी बात से मुग्ध हो जाते हैं। ऐसा क्यों? वास्तव में यह चमत्कार ओज शक्ति की सम्मोहकता का ही है। ओज तत्त्व चुप रहकर भी बोलता और मोहित करता है। यही मूल बात भीतरी नैतिकता और निष्ठा से प्रसूत वाणी की है, यह सब में नहीं होती है। मानव अपनी सीमित ओज शक्ति को बढ़ा सकता है । मानव यदि अपनी काम क्रिया और दुर्व्यसनों में नष्ट हो रही शक्ति को रोक ले और सहज अध्यात्म मूलक ओज में लग सके तो वह विश्व में स्वयं का और दूसरों का अपार हित कर सकता है। मानव की शक्ति और आयु का सबसे अधिक क्षय कामलोलुपता के कारण होता है। हमारे शरीर का सबसे नीचे वाला केन्द्र (मूलधारक चक्र) शक्ति का नियामक एवं वितरक केन्द्र है ! योगी इसीलिए इस पर विशेष
SR No.006271
Book TitleMahamantra Namokar Vaigyanik Anveshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavindra Jain
PublisherMegh Prakashan
Publication Year2000
Total Pages234
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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