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तं जहाइहलोगा संसप्पओगे, परलोगा संसप्पओगे, जीविया संसप्पओगे, मरणा संसप्पओगे, कामभोगा संसप्पओगे, (मा मज्झ हुज्ज मरणंते वि सड्ढापरूवणम्मि अन्नहा भावो) मारणान्तिक कष्ट होने पर भी मेरी श्रद्धा प्ररूपणा में अन्तर आया हो, तो जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं।
पर्यालोचन पाठ ऐसे सम्यक्त्वपूर्वक बारह व्रत संलेखना सहित, इनके विषय में अतिक्रम, व्यतिक्रम, अतिचार, अनाचार, जानते, अनजानते, मन, वचन, काया से सेवन किया हो, कराया हो, करते हुए का अनुमोदन
श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र
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