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'य' दो अक्षरों के कहने से तृतीय आवर्तन होता है। फिर 'जत्ता भेज व णि जंच भे' के उच्चारण करने से तीन आवर्तन होते हैं। प्रथम 'ज' अक्षर मन्द स्वर से, 'त्ता' अक्षर मध्यम स्वर से और 'भे' उच्च स्वर से, इस प्रकार तीनों अक्षरों के उच्चारण से प्रथम आवर्तन होता है और 'ज, व, णि' इन तीनों अक्षरों को त्रिविध स्वर से उच्चारण करने से द्वितीय आवर्तन होता है तथा इसी तरह 'जं, च, भे' को भी त्रिविध स्वर से उच्चारण करने से तृतीय आवर्तन होता है। तीन, तीन, छह आवर्तन एक पाठ में बोलें और जहाँ 'तित्तीसत्रयराए' शब्द आता है वहाँ खड़े होकर पूरे पाठ को समाप्त करें । इस प्रकार से द्वितीय 'खमासमणो' का पूरा पाठ बोलें, इसमें भी छहों आवर्तन पूर्वोक्त प्रकार से होते हैं।
इन दो 'खमासमणो' में बारह आवर्तन होते हैं। यहाँ यह ध्यान रखें कि दूसरे ‘खमासमणो' में 'आवसियाए पडिक्कमामि' इन दश अक्षरों को न बोलें, द्वितीय ‘खमासमणो' को बैठे-बैठे ही पूर्ण करना चाहिए।
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श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र