SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ इन अठारह पापस्थानों में से किसी का सेवन किया हो, कराया हो, करते हुए को भला जाना हो, तो आलोऊँ। | संक्षिप्त प्रतिक्रमण सूत्र | इच्छामि ठामि पडिक्कमिडं, जो मे देवसिओ, अइयारो कओ, काइओ, वाइओ, माणसिओ, उस्सुत्तो, उम्मग्गो, अकप्पो, अकरणिजो, दुज्झाओ, दुविचिंतिओ, अणायारो, अणिच्छियव्वो, असावग-पाउग्गो, नाणे तह दंसणे, चरित्ताचरित्ते, सुए, सामाइए, तिण्हं गुत्तीणं, चउण्हं कसायाणं, पंचण्हं अणुव्वयाणं, तिण्हं गुणव्वयाणं, चउण्हं सिक्खावयाणं, बारसविहस्स सावग-धम्मस्स, जं खण्डियं, जं विराहियं, तस्स आलोउं। [फिर नवकार मंत्र का चिन्तन कर प्रकट में 'नमो अरिहंताणं' पढ़कर कायोत्सर्ग को पाले।] श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र ४९
SR No.006269
Book TitleShravak Pratikraman Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPushkarmuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy