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(प्रकाशकीय
आज अपने स्नेही पाठकों के कर-कमलों में 'श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र का नव्य भव्य पुष्प अर्पित करते हुए महती प्रसन्नता है। 'श्रावक प्रतिक्रमण सूत्र के अनेक संस्करण प्रकाशित हुए हैं पर इस संस्करण की अपनी अनूठी विशेषता है।
इसके सम्पादक हैं- उपाध्याय परम श्रद्धेय गुरुदेव श्री पुष्कर मुनि जी महाराज, जो स्थानकवासी समाज के जानेमाने प्रसिद्ध प्रवक्ता हैं, लेखक हैं, कवि हैं और हैं गम्भीर तत्त्व-चिन्तक । आपके द्वारा लिखित व सम्पादित दो सौ से भी अधिक पुस्तकें हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी व संस्कृत भाषा में प्रकाशित हो चुकी हैं जो अत्यधिक लोकप्रिय सिद्ध हुई हैं। समयाभाव होने पर भी हमारी नम्र प्रार्थना पर श्रद्धेय सद्गुरुवर्य ने समय निकालकर प्रस्तुत पुस्तक का सम्पादन किया तदर्थ हम उनके आभारी हैं। ___ श्रद्धेय गुरुदेवश्री के सुयोग्य शिष्य आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि जी महाराज ने पुस्तक पर महत्त्वपूर्ण भूमिका लिखकर प्रतिक्रमण के विविध पहलुओं पर प्रकाश डाला है अतः उनके प्रति हृदय से आभार प्रदर्शित करना हम अपना कर्त्तव्य समझते हैं।
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