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जैन धर्म का जीवन-सन्देश यह पृथ्वी, जिस पर हम निवास करते हैं, विविध प्रकार के जीव-जन्तुओं से भरी पड़ी है। उनके अनेक प्रकार के रंग हैं, रूप हैं, आकार हैं, प्रकार हैं और अन्य अनेक प्रकार की भिन्नताएं-विभिन्नताएं भी दृष्टि-गोचर होती हैं।
यद्यपि ये भिन्नताएं हैं, सभी प्राणी एक-दूसरे से अलग-थलग दिखाई देते हैं, किन्तु इन सभी प्राणियों में एक तत्व समान है और वह है जीव मात्र की स्वभावगत परस्पर उपकारिता। यह परस्पर उपकारिता का तत्व इस समस्त विश्व में, जड़ और चेतन में, ऐसा अनुस्यूत है कि इसे सभी जीवों की जीवन-प्रक्रिया का सामान्य नियम और पारस्परिक सम्बन्ध का स्रोत माना
जा सकता है। __ इस परस्पर प्रकारिता का एक छोटा-सा उदाहरण लें। हमारे शरीर में स्थित कार्बनडाई-ऑक्साइड' जिसे हम उच्छवास द्वारा छोड़ते हैं वह पेड़-पौधों-वनस्पति जगत के जीवों को जीवनी शक्ति प्रदान करता है और