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बालक शीघ्र ही स्याद्वाद को समझ गया। स्कूल-कालेजों में रेखागणित आदि विषय पढ़ाते समय भी सापेक्षवाद का प्रयोग किया जाता है; जैसे-अमुक कोण अमुक कोण से बड़ा है और अमुक से छोटा है। इसी प्रकार रेखाओं आदि को समझाने में भी सापेक्षता सिद्धान्त का प्रयोग किया जाता है। __ ऐसा उपयोगी जीवन-सन्देश जैन धर्म की ही देन है। ..
समत्व समत्व जैनधर्म का वह जीवन सन्देश है, जो ऊँच-नीच, छोटे-बड़े, तुच्छ और उच्च की संकीर्ण विचारधाराओं को जड़-मूल से समाप्त करके सुख की सरिता बहाता है।
जैन धर्म की मान्यता है कि सभी प्राणियों में जीव-आत्मा-चेतन का निवास है, सभी जीव गुणों में समान हैं। जैसा जीव हाथी में है वैसा ही चींटी में, जैसा सर्प में वैसा ही सिंह में, श्वान में यहाँ तक कि क्षुद्रातिक्षुद्र प्राणियों में भी और मानव में भी। · जब जीव की दृष्टि से सभी प्राणी समान हैं