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(५०) बुराइयाँ झूठ की छाया तले पनपती है । धूप या हवा लगते ही जैसे बर्फ पिघल जाती है, वैसे ही सत्य का उजाला होते ही बुराइयाँ अपने आप गल जाती हैं ।
इसलिए मैं आज युवा शक्ति से कहना चाहता हूँ कि वे जीवन में सफल और यशस्वी बनना चाहते हैं तो जीवन में सत्यनिष्ठ बनें । देश, समाज और परिवार पर अपने विचारों का प्रभाव डालना चाहते हैं, अपने कृतित्व का प्रभुत्व जमाना चाहते हैं तो जीवन में सत्य आचरण सीखें । सच्चाई का दामन पकड़ें । सत्यनिष्ठा ही उन्हें वीर, साहसी और प्रभावशाली बनायेगी।
४. सहनशील बनिए-सहिष्णुता एक ऐसा गुण है जो मनुष्य को देवता बना देता है । कहावत है-सौ-सौ टाँचे खाकर महादेव बने हैं । पत्थर, हथौड़ी और छैनी की मार खा-खाकर ही देवता की मूर्ति बनती है । मनुष्य भी जीवन में कष्ट