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(१०) व्यक्तित्व वाला बनाना चाहते हैं, उन्हें बचपन से ही उनके संस्कारों की तरफ ध्यान देना चाहिए।
संसार में जितने भी तेजस्वी और प्रभावशाली व्यक्तित्व हुए हैं, उनके जीवन-निर्माण में जागरूक माता का हाथ उसी प्रकार रहा है, जैसे अच्छे फलदार वृक्षों के निर्माण में कुशल माली की देख-रेख रहती है।
जिन बच्चों की बचपन में देखरेख नहीं रहती, जिन्हें अच्छे संस्कार नहीं मिलते, योग्य शिक्षण व संरक्षण नहीं मिलता, वे जवानी आने से पहले ही मुझ जाते हैं, दीपक प्रज्वलित होने से पहले ही बुझ जाते हैं । वृक्ष, फलदार बनने से पहले ही सूखने लग जाता है । अतः कहा जा सकता है, यौवन उन्हीं का चमत्कारी और प्रभावशाली होता है, जिनका बचपन संस्कारित रहता है।