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अनन्त शक्ति का पुञ्ज : नमोकार महामंत्र
संस्कृत साहित्य में एक सूक्ति हैअमंत्रमक्षरं नास्ति - वर्णमाला का कोई भी अक्षर अमंत्र नहीं है, वर्णमाला के सभी अक्षर मंत्र हैं ।
लेकिन जरा सोचिए, वे अक्षर मंत्र कब बनते हैं ? जब इन पर मनन किया जाय'मननात् मंत्रः' मनन करने से ही अक्षर में वह विशेषता समुत्पन्न होती है कि साधारण सा लगने वाला अक्षर अचिन्त्य शक्ति से परिपूर्ण मंत्र बन जाता है । और साधक को इष्ट प्राप्ति के निकट पहुँचा देता है ।
यद्यपि मनन करने की शक्ति का केन्द्र 'मन' तो संज्ञी तिर्यंच पंचेन्द्रिय पशु-पक्षियों को भी प्राप्त है, और सामान्यतया सभी मनुष्यों को भी प्राप्त है- मानसिक क्षमता