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(५८)
(२) बौद्धिक जाड्य की समाप्ति होकर
नई स्फुरणाएँ ।
(३) बुद्धि-शक्ति का विकास और उत्कर्ष ।
(४) मानसिक वृत्तियों की ऊर्ध्वमुखताऊर्ध्वारोहण ।
(५) इच्छाओं का अभाव ।
अन्य मंत्रों की साधना से मानसिक और हार्दिक इच्छाओं की पूर्ति होती है, जबकि नमोकार मंत्र की साधना से इच्छाओं का अभाव होता है; परिणामस्वरूप स्थायी शांति की उपलब्धि होती है ।
(६) सुख - दुःख की भावना में परिवर्तन होकर साधक में तितिक्षा भाव बढ़ता है । (७) मानसिक संक्लेश समाप्तप्राय हो जाते हैं ।