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(५२) उच्चारण लय-तालपूर्वक हो, न अतिशीघ्र न अति विलंबित |
ताल-लयपूर्वक उच्चारण से साधना में रसास्वाद की स्थिति बनती है और साधक आल्हाद को प्राप्त करता है ।
'नमो अरिहंताणं' एक पद को लय पूर्वक उच्चारण करने में आप आधा मिनट भी लगा सकते हैं तथा १ सेकंड में भी बोल सकते हैं । किन्तु जरा अनुभव करके देखें जितना लम्बा ताल लय युक्त उच्चारण होगा उसमें आनन्द उतना ही अधिक आयेगा । आनन्द आयेगा तो एकाग्रता बढ़ेगी । एकाग्रता बढ़ेगी तो निश्चय ही मंत्र में शक्ति जागृत होगी, सिद्धि मिलेगी ।
महामंत्र के पाँचों पदों के उच्चारण के समय के विषय में एक आचार्य का मत है कि नमोकार मंच के पाँचों पदों का जाप ३ श्वासोच्छ्वास में कर लेना चाहिए । यह