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(३८) चारों सोपानों का क्रमशः ध्यान करके अपने अभ्यास को सुदृढ़ करना चाहिए।
यह साधना विधि नमोकार मंत्र के अन्य चारों पदों के ध्यान के लिए भी समझ लेनी चाहिए। (२) दूसरा पद है-नमो सिद्धाण ।
'नमो सिद्धाणं' पद की साधना दर्शन केन्द्र (सहस्रार चक्र-ब्रह्मरन्ध्र-मस्तिष्क) पर ध्यान को एकाग्र करके रक्त वर्ण में की जाती है । रक्त वर्ण से अभिप्राय है-बाल सूर्य के वर्ण जैसी अरुण आभा । __ इसकी साधना के भी उक्त चार सोपान
प्रथम पद का श्वेत वर्ण आत्मिक, मानसिक शुद्धता और स्वच्छता तथा शुभ्रता का प्रतीक है; जबकि इस द्वितीय पद का रक्त वर्ण स्फूर्ति, आत्मजागृति और आत्मिक मुणों के विकास को द्योतित करता है । यह