________________
पर विश्वास करना । आदि ।
और यह सब तब होता है जब मानव समत्व धारण करे । जो घटित हो रहा है उसे परिस्थिति और भाग्य का खेल समझे । उसमें उद्विग्न और चिन्तित न हो । मन-मस्तिष्क और हृदय की ऐसी स्थिति बना ले-जैसा कि एक उर्दू शायर ने कहा है
मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया ।
गम और फिकर को फिजां में उड़ाता चला गया ।। इस तथ्य को मन में भली भाँति स्थिर कर लेना ही उपयोगी होगा कि जो होना है, वह तो अवश्य ही होगा, उसके लिए चिन्ता करने से क्या लाभ ? इसके साथ यह भी तो संभव है कि
(२६)