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(६०) नहीं होते । पेट पर अफरा व तनाव नहीं आता, भोजन शीघ्र पच जाता है।
इसी प्रकार के अन्य नियम और सावधानियाँ भोजन के संबंध में बताई जा सकती हैं किन्तु इतनी बातें भी ध्यान रखी जायें तो आहार नीरोगताप्रद होने के साथ-साथ शुभवृत्तिकारक भी सिद्ध होगा। विशेष ध्यान रखने योग्य : __ एक बात पर विशेष महत्व दें । आप अपने पेट को कूड़ादान न समझें और न ही पाचन यंत्रों को घड़ी-यंत्र ।
जिस तरह घड़ी (वाच) बिना एक क्षण भी रुके, निरंतर गति करती रहती है, वैसी स्थिति उदर के पाचन यंत्रों की नहीं है, अपितु कुछ उससे भिन्न है।
जिस तरह आप थकते हैं, विश्राम चाहते हैं, उसी प्रकार आपका पाचन तंत्र भी विश्राम चाहता है । जिस तरह आप सप्ताह में एक दिन अपने कार्यालय से अवकाश लेते हैं, उसी प्रकार अपने पाचन