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(३६) आलस्य तो व्यावहारिक और आध्यात्मिक दृष्टि से मानव के लिए हानिकारक है ही, लेकिन पाचन संस्थान की गड़बड़ी भी कम हानिकारक नहीं है । इनके सेवन से अपच आदि अनेक रोग हो जाते हैं । अति मीठा :
यद्यपि मधुर रस को वैद्यक शास्त्र में पित्त, वात (वायु विकार आदि रोगों) का नाश करने वाला कहा गया है, लेकिन कब ? जब उचित परिमाण में इसका प्रयोग किया जाय और यदि अधिक परिमाण में, अतिमात्रा में मीठा खाया जाय तो कई रोगों का कारण बन जाता है, जिनमें प्रमुख हैं-मधुमेह, डायबिटीज आदि ।
वैसे भी आधुनिक आहार विशेषज्ञ मीठे को (विशेष रूप से मिलों में बनी शक्कर चीनी -सुगर) को मीठा जहर कहते हैं और बताते हैं कि यह हड्डियों को कमजोर करती है ।
अतः अतिमात्रा में मीठा भी शरीर के