SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (२३) तर विनम्र व्यक्तित्व के धनी लोगों को उत्तेजक भोजन देकर स्वभाव बदलते और सात्विक आहार से अपराधियों को भी सज्जनता अपनाते देखा है । (शाकाहार क्रांति-नवम्बर १९८९ आहार और अपराध वृत्ति) आज पश्चिमी जगत में यह आम विचार चल रहा है कि विश्व को शान्ति, सहयोग और सहअस्तित्व की भावना के साथ जीना है तो शाकाहार अपनाना ही होगा । मांसाहार न केवल आरोग्य के लिए घातक है, बल्कि मानवता के लिए भी सर्वथा त्याज्य है । अप्राकृतिक भोजन है । जो लोग इसका सेवन करते हैं, उनमें तीन प्रकार के लोग हैं एक तो देशकाल की परिस्थितिवश मजबूर हैं। दूसरे वे हैं जो उत्तेजनापूर्ण स्वाद और तामसिक भोजन के आदी हैं, और तीसरे, शरीर व आरोग्य के विषय में
SR No.006263
Book TitleAahar Aur Aarogya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1990
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy