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जबकि शाकाहारी सरलचित्त होता है । शाकाहार कामोत्तेजक भी नहीं होता, अतः वह सामाजिक स्थिरता और शांति में सहायक बनता है ।
इनके अतिरिक्त मांस में और भी बहुत से दोष हैं : १. इसमें विटामिनों की कमी होती है, विटामिन सी तो होता ही नहीं, जो पचन - पाचन और शरीर की नीरोगता के लिए अनिवार्य है । फासफोरस का अनुपात अधिक होता है, इससे ऐंठन आदि रोग हो जाते हैं । भांस में एसिडिटी अधिक होने के कारण यह हड्डियों को कमजोर करता है । तभी तो जरा सी ठेस या चोट लगने से फ्रेक्चर हो जाता है पर ऐसा कोई भी दोष शाकाहार में नहीं होता ।
इसीलिए मिनिस्ट्री आफ हीलिंग, पृ. ३१३ में कहा गया है - मास कभी उत्तम भोजन नहीं रहा, चूंकि जानवरों में रोग तेजी से बढ़ रहे हैं, इसीलिए आज इसका प्रयोग दो गुना आपत्तिजनक है ।