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दुखदायी अथवा सुखदायी आत्मा से चिपके हुए हैं । (बंध तत्व)
७. नये कर्मों का आस्रव (आगमन) रुक सकता है । (संवरतत्व)
८. पहले बंधे हुए कर्मों को आंशिक रूप से पृथक करने का उपाय है । (निर्जरा तत्व) ____६. संसार के सुख-दुःखों से पूर्णतया छुटकारा पाया जा सकता है । (मोक्ष तत्व) ___मानव की उपर्युक्त नौ मूल जिज्ञासाओं का मौलिक समाधान इन्हीं नव तत्व दर्शन में प्रकट हुआ है।
आइये, अब जैन तीर्थंकरों द्वारा प्रतिपादित इन नव तत्वों के स्वरूप को भलीभांति समझने का प्रयास करें।
१. जीव तत्व जीव तत्व नौ तत्वों में प्रमुख है। शेष आठ तत्व इसी के इर्द-गिर्द घूमते हैं। इसी के कारण