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अध्याय-2
जिन प्रतिमा पूजनीय क्यों ?
शंका- जिन प्रतिमा का निर्माण करवाने से क्या लाभ?
समाधान - जैन शास्त्रों में प्रतिमा बनवाने के लाभ की चर्चा अनेक स्थानों पर की गई है। प्रतिष्ठा कल्प के अनुसार
दारिद्दं दोहग्गं कुजाइ, कुसरीर - कुगइ - कुमइओ । अवमाण - रोग - सोगा, न हुंति जिण बिंब कारिणं ।।
जिन बिम्ब बनाने वाले को 1 दरिद्रता 2 दौर्भाग्य, 3 नीच जाति, 4 कुशरीर, 5 कुगति, 6 कुमति, 7 अपमान, 8 रोग और 9 शोक जैसे दुःखों की प्राप्ति नहीं होती।
हितोपदेश ग्रंथ में कहा गया है कि
"अइदुल्लहं पि बोहि, जिणपडिमाकारिणो लहु लहंति । "
अत्यन्त दुर्लभ ऐसे सम्यगदर्शन की प्राप्ति जिनप्रतिमा बनवाने एवं भरवाने से अति शीघ्र होती है।
श्रुत, संघ, तीर्थ आदि पूजनीय द्रव्य भी तीर्थंकरों द्वारा ही निर्मित है अत: तीर्थंकर परमात्मा की प्रतिमा भरवाने वाले को इन सब की सेवा-भक्ति का लाभ अनायास ही प्राप्त हो जाता है ।
श्राद्धविधि प्रकरण के अनुसार जिनबिम्ब भरवाने वाले को मनुष्य लोक एवं देव लोक में परम सुख की प्राप्ति होती है। इसी के साथ उस जिन बिम्ब के दर्शन से जितने लोगों का सम्यगदर्शन पुष्ट होता है या जिनकी शुभ परिणति बनती है, उन सभी का आंशिक लाभ प्राप्त होता है।
शंका- वीतराग रूप में स्थापित गणधर प्रतिमा के निकट अन्य गुरु रूप में मान्य गणधर प्रतिमा एवं उनके चरण रख सकते है या नहीं ?
समाधान- जिनरूप में स्थापित गणधर प्रतिमा चरण के साथ रह सकती है, परंतु गुरु रूप में विराजित गणधर प्रतिमा के साथ नहीं, क्योंकि दोनों में