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________________ वर्तमान में गृह मन्दिरों का औचित्य कितना? ...53 स्थापना कर सकते हैं। सामान्यतया जब स्नात्र पूजा आदि में गुरु महाराज पधारते हैं तो परमात्मा के समक्ष श्रावकगण खड़े होकर गुरु का विनय करते हैं अतः गृह चैत्य में गुरु मूर्ति स्थापित की जा सकती है। शंका - गृह मंदिर में परमात्मा की दृष्टि मिलानी जरूरी है ? समाधान- गृह मंदिर यदि शिखरबद्ध या संवरणाबद्ध प्रासाद के रूप में हो तथा द्वार शाखा आदि शिल्पांगों का भी ध्यान रखा गया हो तो दृष्टि भी अवश्य रूप से मिलानी चाहिए। यदि सामान्य देहरी, गोखला या कपाट आदि में प्रतिमा स्थापित की गयी हो तो दृष्टि मिलाना जरूरी नहीं है । शंका - गृह मंदिर के ऊपर ध्वजा, ध्वजदंड, कलश आदि रखना चाहिए? समाधान- घर मंदिर में ध्वजा रखने की कोई शास्त्रोक्त विधि नहीं है। ध्वजा नहीं होने पर ध्वजदंड भी नहीं होता। यदि गृह मंदिर का शिखर संवरणा की आकृति का हो तो कलश, आमलसर आदि जरूरी होते हैं अन्यथा नहीं । कई लोग स्वयं के संतोष के लिए भी ध्वजा रखते है । शंका- यदि संपूर्ण परिवार नगर से बाहर जा रहा हो तो गृह मंदिर में विराजित प्रतिमा की पूजा कैसे करनी चाहिए ? समाधान- उपरोक्त परिस्थिति में प्रतिमाजी किसी सुज्ञ श्रावक को संभलानी चाहिए अथवा संघ मंदिर में विनती पूर्वक रखनी चाहिए । फिर बाहर से वापस आने के बाद शुभ चौघड़िये में बहुमानपूर्वक पोंखण करके प्रतिमाजी का गृह मंदिर में पुनः प्रवेश करवाना चाहिए। शंका - गृह मंदिर में विराजित जिनेश्वर परमात्मा की विशेष भक्ति 'कैसे करें? समाधान- गृह मंदिर में विराजित परमात्मा की विशेष भक्ति हेतु उनके नाम की कम से कम एक माला फेरना, वर्षगांठ कल्याणक पर्व आदि के दिन विशेष अंग रचना करना, त्रिशष्टिशलाका पुरुष आदि ग्रन्थों के अनुसार उनके चारित्र का वांचन करना, सामूहिक भक्ति आदि का आयोजन रखना इस प्रकार विशिष्ट कृत्यों के द्वारा परमात्मा की विशेष भक्ति कर सकते हैं।
SR No.006260
Book TitleShanka Navi Chitta Dharie-Shanka, Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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