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________________ 22...सज्जन तप प्रवेशिका चौथी श्रेणी में - अनुक्रम से छह, सात, आठ, नव और पाँच उपवास अन्तर रहित पारणा से करें। पांचवीं श्रेणी में - अनुक्रम से आठ, नव, पाँच, छह और सात उपवास बीच-बीच में पारणा पूर्वक करें। इस प्रकार इस तप की एक परिपाटी में 175 उपवास तथा 25 पारणे कुल 200 दिन में यह तप सम्पूर्ण होता है। चारों परिपाटी पूर्ण करने में 2 वर्ष, 2 मास, 20 दिन लगते हैं। इस तप में यन्त्र का न्यास इस प्रकार है - तप दिन 175, पारणा 25, कुल दिन 200 श्रेणी | उप. | उप. | उप. | उप. | उप. | प्रथम 5 | द्वितीय - 7 8 9 तृतीय | चतुर्थ । 6 9 5 पंचम 8 | 7 उद्यापन - इस तप का उद्यापन भद्र तप की भाँति ही करें। यह तप साधु और श्रावक दोनों को करना चाहिए। • प्रचलित परम्परानुसार इस तप की आराधना में प्रतिदिन "श्री महावीरस्वामी नाथाय नमः" की बीस माला गिनें। शेष साथिया आदि बारहबारह करें। साथिया खमासमण कायोत्सर्ग 12 12 9. सर्वतोभद्र प्रतिमा तप इस तप के नाम से ही सूचित होता है कि यह तपश्चर्या सर्व प्रकार की शान्ति, कल्याण एवं कर्म क्षय के लिए की जाती है। जिस तप की आराधना से सर्वतो अर्थात चिहुं ओर कल्याण ही कल्याण हो वह सर्वतोभद्र तप कहलाता है। इस तप की आराधना भगवान महावीर ने की थी। प्रामाणिक सन्दर्भ के रूप में इसका उल्लेख विक्रम की 10वीं शती के परवर्ती ग्रन्थों में उपलब्ध होता है। ||-00000 | Bo|10|-00 माला 12 20
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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