SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 345
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 3. अक्षर श्रुतज्ञानाय नमः 4. अक्षर समास श्रुतज्ञानाय नमः 5. पद श्रुतज्ञानाय नमः 6. पद समास श्रुतज्ञानाय नमः 7. संघात श्रुतज्ञानाय नमः 8. संघात समास श्रुतज्ञानाय नमः 9. प्रतिपत्ति श्रुतज्ञानाय नमः 10. प्रतिपत्ति समास श्रुतज्ञानाय नमः 11. अनुयोग श्रुतज्ञानाय नमः 12. अनुयोग समास श्रुतज्ञानाय नमः 13. श्रुतज्ञानाय नमः 14. श्रुत समास श्रुतज्ञानाय नमः 15. बहु श्रुतज्ञानाय नमः 16. बहु समास श्रुतज्ञानाय नमः 17. पाहुड़ श्रुतज्ञानाय नमः 18. पाहुड़ समास श्रुतज्ञानाय नमः 19. पूर्व श्रुतज्ञानाय नमः 20. पूर्व समास श्रुतज्ञानाय नमः 38 खमासमण - तीर्थ पद की आराधना हेतु प्रदक्षिणा का दोहा परिशिष्ट - II ... 283 काज । तीर्थयात्रा प्रभाव छे, शासन उन्नति परमानन्द विलासतां, जय जय तीर्थ जहाज ।। खमासमण के पद 1. सर्वतः प्राणातिपात विरताय श्री तीर्थाय नमः 2. सर्वतः मृषावाद विरताय श्री तीर्थाय नमः 3. सर्वतः अदत्तादान विरताय श्री तीर्थाय नमः 4. सर्वत: मैथुन विरताय श्री तीर्थाय नमः 5. सर्वतः परिग्रह विरताय श्री तीर्थाय नमः
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy