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________________ 102... सज्जन तप प्रवेशिका निर्देश किया गया है। यह सर्वविदित है कि भगवान महावीर इस अवसर्पिणी काल खण्ड में भरत क्षेत्र के चौबीसवें तीर्थङ्कर थे । उनकी आयु 72 वर्ष की थी, उन्होंने 42 वर्ष संयम धर्म का पालन किया। साढ़े बारह वर्ष पर्यन्त कठोर तपश्चर्या के द्वारा सम्पूर्ण कर्मों का क्षय कर केवलज्ञान को उपलब्ध किया । भगवान महावीर अन्तिम शासनाधिपति होने के कारण इस काल खण्ड के भव्य प्राणियों के लिए परम उपकारी हैं। अतः उनके द्वारा आचरित एवं प्ररूपित तपो धर्म हम सभी के लिए अपरिहार्यतः करने योग्य है। यह अनागाढ़ तप साधु एवं गृहस्थ दोनों के लिए यथाशक्ति परिपालनीय है तथा इस तप को करने से तीर्थङ्कर नाम कर्म का बंध होता है। --- भगवान महावीर द्वारा कृत सर्व तपों की संख्या इस प्रकार है। नवकिरचाउम्मासे, छक्किरदोमासिए उवासी अ । बारस य मासिआई, बावत्तरि अद्धमासाई ।।1।। इक्कं किर छम्मासं, दो किर तेमासिए उवासीय । अड्डाइज्जाई दुवे, दो चेव दुविङमासाई ।।2।। भद्दं च महाभद्दं, पडिमं तत्तो अ सव्वओ भद्दं । दोचतारिदसेव य दिवसे, ठासी अणुबद्धं ।।3।। गोअरमभिग्गहजुअं खमणं, छम्मासियं च कासीय । पंचदिवसेहिं ऊणं, अव्वहिओ वच्छ नयरीऐ ।।4।। दसदोअकिरमहप्पा, छाइमुणीएगराइअं पडिमा । अट्टमभत्तेण जई, इक्किक्कं चरमरयणीयं | 15 || दो चेव य छट्ठसए, अउणातीसे उवासिओ भयवं । कायाइ निच्चभत्तं चउत्थभत्तं च से आसि ।।6।। तिण्णिसर दिवसाणं, अउणापण्णे उवासिओ कालो । उक्कुडुअरिसिब्भाणं पि अ, पडिमाणं सए बहुए । 17 ।। सव्वंपि तवोकम्मं, अप्पाणयं आसि वीरनामहस्स । पव्वज्जाए दिवसे पढमे, खित्तंमि सव्वमिणं । 18 ।। बारस चेव य वासा, मासा छच्चेव अद्धमासो अ । वीरवरस्स भगवओ, एसो छउमत्थपरियाओ ।।9।। आचारदिनकर, पृ. 347
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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