________________
54...सज्जन तप प्रवेशिका
इस तप से बाह्य एवं आभ्यन्तर द्विविध महाऋद्धियों की प्राप्ति होती है। यह इत्वरिक अनशन के छह प्रकारों में से एक है। वर्तमान में यह तप नहींवत रह गया है यद्यपि आगम सम्मत एवं तीर्थङ्कर प्रणीत होने से इसकी चर्चा उपयोगी प्रतीत होती है। ___ यह तप दो की संख्या तक आठ श्रेणियों में पूर्ण किया जाता है। इसकी विधि निम्न प्रकार है - विधि
एक-द्वयेक-युग्म-युग्म- वसुधा युग्मेन्दु भूयामल
मा युग्मद्वयभूमि युग्मधरणीयुग्मेन्दु- युग्मैककैः। एक-द्वयेक भुजद्विभूमि युगलज्याज्याद्वि-भूमिद्वयैरेक द्वयेक भुजद्विचन्द्र-यमलैरेकैकयुग्मेन्दुभिः।। द्विद्वयेकद्विमहीद्विभूमियुगलज्याज्याद्विभूमिद्वयैः, द्वयेकद्वयेक महीद्विचन्द्रयुगलैः, श्रेण्यष्टकत्वं गतः। वर्गाख्यं तप उच्यते ह्यनशनैर्मध्योल्लसत्पारणैः, सर्वत्रापि निरन्तरैरपि दिनान्यस्मिन् खषभूमयः।।
आचारदिनकर, पृ. 361-62 • इस तप की प्रथम श्रेणी में क्रमशः एक,दो,एक,दो,दो,एक,दो एवं एक उपवास एकान्तर पारणे से करें।
• दूसरी श्रेणी में क्रमश: एक,दो,दो, एक,दो, एक,दो एवं एक उपवास एकान्तर पारणे से करें।
• तीसरी श्रेणी में क्रमश: दो, एक, दो, एक, एक, दो, एक एवं दो उपवास एकान्तर पारणे से करें।
• चौथी श्रेणी में क्रमश: दो, एक, एक, दो, एक, दो, एक एवं दो उपवास एकान्तर पारणे से करें।
• पांचवीं श्रेणी में क्रमश: एक, दो, एक, दो, दो, एक, एक एवं दो उपवास एकान्तर पारणे से करें।
• छठी श्रेणी में क्रमश: एक, दो, एक, उपवास एकान्तर पारणे से करें।
• सातवीं श्रेणी में क्रमश: दो, एक, दो, एक, एक, दो, दो एवं एक
जिउँ । प, जेईई
जज जई
.