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132... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे? __ तुतलाना- शंख मुद्रा, सहजशंख मुद्रा, तत्त्वज्ञान मुद्रा।
थकान- प्राण मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा।
थायरॉइड- अभयज्ञान मुद्रा, तत्त्वज्ञान मुद्रा, सहजशंख मुद्रा, वयन मुद्रा, सूर्य मुद्रा, शंख मुद्रा, सहजशंख मुद्रा, उदान मुद्रा।
दाद (Ring Worms)- बोधिसत्त्वज्ञान मुद्रा, शून्य मुद्रा, समन्वय मुद्रा, जलोदर नाशक मुद्रा, प्रज्वलिनी मुद्रा, वरुण मुद्रा।
• दाँतों की समस्या- आकाश मुद्रा, अपान मुद्रा, मृगी मुद्रा, अभयज्ञान मुद्रा, तत्त्वज्ञान मुद्रा, मृगी मुद्रा।
दुर्बलता- पृथ्वी मुद्रा। न्यूमोनिया- सूर्य मुद्रा, लिंग मुद्रा। नाड़ी शुद्धि- प्राण मुद्रा, शंख मुद्रा, सहजशंख मुद्रा, अभयज्ञान मुद्रा।
नाभि की समस्या- शंख मुद्रा, अपान मुद्रा, सहजशंख मुद्रा, बोधिसत्त्व ज्ञान मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा, सूर्य मुद्रा, हंसी मुद्रा-2, सुरभि मुद्रा।
निम रक्तचाप- आकाश मुद्रा, प्राण मुद्रा, अपान मुद्रा। .
नशीले पदार्थों का सेवन- बोधिसत्त्व ज्ञान मुद्रा, शून्य मुद्रा, समन्वय मुद्रा, आदिति मुद्रा, जलोदर नाशक मुद्रा।
नपुंसकता- बोधिसत्त्व ज्ञान मुद्रा, शून्य मुद्रा, समन्वय मुद्रा, आदिति मुद्रा, प्रज्वलिनी मुद्रा, अनुशासन मुद्रा, पृथ्वी सुरभि मुद्रा।
पक्षाघात- ज्ञान वैराग्य मुद्रा, वायु मुद्रा, प्राण मुद्रा।
• पाचन समस्या- सूर्य मुद्रा, लिंग मुद्रा, शंख मुद्रा, सहजशंख मुद्रा, सुरभि मुद्रा, पंचपरमेष्ठी मुद्रा, अभय मुद्रा, ज्ञान मुद्रा, सूर्य मुद्रा, हंसी मुद्रा-2 । ___ •पित्ताशय सम्बन्धी समस्याएँ- ज्ञान ध्यान मुद्रा, अभय ज्ञान मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा, समन्वय मुद्रा, पंकज मुद्रा।
पोलियो- वायु मुद्रा।