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104... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे? निःसन्देह प्रायोगिक है। इस मुद्रा के द्वारा आध्यात्मिक जगत अधिक परिपुष्ट एवं शक्तिशाली बनता है।
• एक्यूप्रेशर स्पेशलिस्ट के अनुसार यह मुद्रा बुखार, श्वास सम्बन्धी रोग, हाथ-पैर में ऐंठन, सिरदर्द आदि में फायदा करती है। 25.5. वायु सुरभि मुद्रा
दोनों हाथों की तर्जनी अंगुलियाँ वायु तत्त्व का संचालन करती हैं। इस मुद्रा के माध्यम से द्वयांगुष्ठों के अग्रभागों को तर्जनी अंगुलियों के मूल पर लगाया जाता है इसलिए इस मुद्रा को वायु सुरभि मुद्रा कहा गया है।
वायु सुरभि मुद्रा विधि
सुरभि मुद्रा के लिए सुखासन या वज्रासन में बैठ जायें। तत्पश्चात पूर्ववत सुरभि मुद्रा बनाकर दोनों अंगूठों के अग्रभागों को दोनों तर्जनी अंगुलियों के मूल स्थान पर योजित करने से वायु सुरभि मुद्रा बनती है।