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आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रचलित मुद्राओं का प्रासंगिक विवेचन ... 97
सुरभि मुद्रा
विधि
ध्यान उपयोगी किसी भी अनुकूल आसन में बैठ जायें। तदनन्तर नमस्कार मुद्रा की भाँति दोनों हाथों की अंगुलियों के अग्रिम पोरों को परस्पर मिलाएं। फिर बाएं हाथ की तर्जनी के अग्रभाग को दाहिने हाथ की मध्यमा के अग्रभाग से स्पर्श कराएं तथा दाहिने हाथ की तर्जनी के अग्रभाग को बाएं हाथ की मध्यमा के अग्रभाग से स्पर्श करवाएं।
इसी तरह बाएं हाथ की अनामिका के अग्रभाग को दाहिने हाथ की कनिष्ठिका के अग्रभाग से मिलाएं तथा दाहिने हाथ की कनिष्ठिका के अग्रभाग को बाएं हाथ की अनामिका के अग्रभाग से मिलाएं।
दोनों अंगूठे एक-दूसरे के आसपास स्वतन्त्र रहें। सभी अंगुलियाँ एक-दूसरे सम्मुख मिलती हुई रहें। उपर्युक्त विधि से हाथ की मुद्रा बनाकर अंगुलियों को
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