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आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रचलित मुद्राओं का प्रासंगिक विवेचन ...85 19. बंधक मुद्रा
संस्कृत व्याकरण के नियमानुसार बन्ध धातु + ण्वुल प्रत्यय के संयोग से बन्धक शब्द की उत्पत्ति हुई है। यह शब्द विभिन्न अर्थों का बोधक है। बंधक का सामान्य अर्थ है बांधने वाला, पकड़ने वाला। इसके बंध, गांठ, रस्सी, बांध, किनारा, भंग करने वाला, तोड़ने वाला इत्यादि अर्थ भी हैं।18
यहाँ उपर्युक्त सभी अर्थों को ग्रहण किया जा सकता है। इस मुद्रा में सामान्यतया अंगूठों एवं अंगुलियों का आकार बंधन के रूप में दिखता है। यह
___बंधक मुद्रा हकीकत भी है कि इसमें अंगूठे और अंगुलियाँ परस्पर में एक-दूसरे को बांधते हैं इस तरह बांधने वाला, पकड़ने वाला आदि अर्थ घटित होते हैं। इस शब्द का गूढार्थ यह है कि हमारी आत्मा अनादिकाल से बंधी हुई है, जकड़ी हुई है, संसार दशा में जी रहे प्राणियों को इस सत्यता का बोध हो।
जब हम अपने आप को बंधे हुए देखें तो ही उससे छुटकारा पाने का प्रयत्न किया जा सकता है। यदि बंधन दिखे ही नहीं तो उससे मुक्ति कैसे संभव