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आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रचलित मुद्राओं का प्रासंगिक विवेचन ... 81
लिंग मुद्रा
की अनन्त शक्तियाँ जो पौरूषत्व का प्रतिनिधित्व करती हैं किन्तु न्यूनाधिक में सुप्त है अथवा कर्ममलों से आवृत्त हैं उन्हें पूर्ण रूप से प्रकट कर देना, अनावृत्त कर देना है।
मात्रा
विधि
लिंग मुद्रा बनाने के लिए मनोनुकूल स्थिति में बैठ जायें। तत्पश्चात दोनों हाथों की अंगुलियों को परस्पर एक-दूसरे में फँसाकर हाथ को इस तरह स्थिर करें कि जिससे हथेली भाग पर आपसी हथेलियों का और हथेलियों के पृष्ठ भाग पर अंगुलियों का हल्का दबाव पड़ सकें। इसी क्रम में बायें अंगूठे को सीधा खड़ा रखें एवं दाहिने अंगूठे को बायें अंगूठे के मूल भाग पर किंचित दबाव देते हुए रखना लिंग मुद्रा है। 15
पहली बार बायें अंगूठे को सीधा रखते हैं तो दूसरी बार की आवृत्ति में दाहिने अंगूठे को सीधा रख सकते हैं इस तरह दोनों प्रकार से लिंग मुद्रा निष्पन्न होती है। 16