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आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रचलित मुद्राओं का प्रासंगिक विवेचन ...51 • इस मुद्रा से निम्न शक्ति केन्द्र सक्रिय होते हैं
चक्र- मूलाधार एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व ग्रन्थिप्रजनन एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव, पाचन संस्थान, नाड़ी संस्थान, यकृत, तिल्ली, आँतें।
• एक्युप्रेशर के अनुसार अनामिका अंगुली में भी साइनस उपचार के केन्द्र बिन्दु हैं इससे सर्दी जनित रोगों का निवारण होता है। शरीर स्वस्थ एवं पुष्ट बनता है। प्राण ऊर्जा विकसित होती है। शरीर में तेल एवं ठोस तत्त्व बढ़ाने के लिए पृथ्वी मुद्रा सर्वश्रेष्ठ है। 5. सूर्य मुद्रा
सूर्य ग्रहों का अधिपति, तेज गुण का धनी एवं ऊर्जा का स्रोत माना गया है। समग्र ब्रह्माण्ड ऊर्जामय है, हर व्यक्ति के लिए ऊर्जा का होना परमावश्यक है। कोई भी प्राणी ऊर्जा के बिना सक्रिय नहीं रह सकता। यदि शरीर में ऊर्जा
सूर्य मुद्रा