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श्रुत यात्रा के अनन्य राही
श्री भबूतमलजी सुन्दर देवी छाजेड़, गढ़ सिवाना
व्यक्ति के जीवन विकास की श्रृंखला में अनेक धाराएँ प्रवाहित होती है। वे विविध धाराएँ जीवन के भिन्न-भिन्न पक्षों को प्रभावित करती हैं। कुछ व्यावहारिक स्तर पर, कुछ व्यापारिक स्तर पर, कुछ पारिवारिक स्तर पर, तो कुछ धार्मिक स्तर पर। बैंगलोर निवासी श्री शान्तिलालजी चौपड़ा के धार्मिक एवं व्यावहारिक जीवन पर अपने ददिहाल पक्ष का जितना प्रभाव रहा है उतना ही अपने ननिहाल पक्ष का भी ।
सिवाना निवासी धर्मानुरागी श्री भबूतमलजी छाजेड़ सत्य प्रेमी, न्याय प्रिय, जिन धर्म अनुयायी होने के साथ महात्मा गांधीजी के समर्थक थे। आजादी के कई आंदोलनों में उन्होंने गांधीजी का साथ दिया। सत्य निष्ठा उनके जीवन का प्राण था तो प्रभु भक्ति उनका श्वासोश्वास । आपकी धर्मपत्नी श्रीमती सुन्दर बाई करुण हृदयी तथा स्नेह एवं ममता की प्रतिमूर्ति थी। सिवाना के हर एक साधर्मी के प्रति उनके भीतर आत्मीय भाव था। यही वजह थी कि उनके ईर्द-गिर्द अड़ोस-पड़ोस के लोगों का तांता लगा रहता था। बड़ी बहू विमला देवी के अल्पायु में देहावसान के बाद उनके पाँच बच्चों को आपने मातृवत स्नेह से पल्लवित किया। इसी के साथ उन्हें हर प्रकार की शिक्षाएँ भी दी। आप ही के संस्कारों के कारण आपकी पोती नारंगी उर्फ निशा संयम पथ पर चलने का साहस कर पाई और आज खरतरगच्छ के श्रुतांगन में दिव्य दीप बनकर साध्वी सौम्य गुणा के नाम से प्रकाशित हो रही है। इस श्रुत श्रृंखला की लेखिका वे ही हैं।
आपके चार पुत्र केसरीचंदजी, भगवानचंदजी, सांवलचन्दजी और अशोक जी का समाज में प्रतिष्ठित स्थान है। केसरीचंदजी और भगवानचंदजी यद्यपि आज इस दुनिया में नहीं है परंतु उनके शासन समर्पण एवं पारिवारिक