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आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रचलित मुद्राओं का प्रासंगिक विवेचन ...37 • इस मुद्रा से निम्न शक्ति केन्द्रों का शोधन होता है
चक्र- आज्ञा एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- आकाश तत्त्व अन्थि- पीयूष एवं पिनियल ग्रंथि केन्द्र- दर्शन एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंगमस्तिष्क, आँख एवं स्नायुतंत्र। __ • शारीरिक स्तर पर यह मुद्रा ब्रेन ट्युमर, पार्किंसंस रोग, मस्तिष्क सम्बन्धी समस्याएँ, मिरगी, अनिद्रा, पीयूष ग्रंथि की समस्या आदि में लाभ पहुँचाती है।
• भावनात्मक स्तर पर इस मुद्रा से उन्मत्तता, निराशा, पागलपन, अनुत्साह, स्मृति आदि समस्याओं का निवारण होता है। 1.4 अभय ज्ञान मुद्रा
यह ज्ञान मुद्रा का ही एक विशिष्ट प्रकार है। जैसा कि इस मुद्रा नाम से परिभाषित होता है कि आत्मा न जन्मती है न मरती है वह तो अजर-अमरअविनाशी-अखंड द्रव्य है। शरीर परिवर्तनशील और मरणधर्मा है। आत्मा तो
अभय जान मुद्रा