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यौगिक मुद्राएँ : मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग ...li 2. कुछ मुद्राएँ बाहर की तरफ दिखाने की है उनमें चित्रकार ने मुद्रा
बनाते समय वह Pose अपने मुख की तरफ दिखा दिया है। 3. कुछ मुद्राओं में एक हाथ को पार्श्व में दिखाना है उस हाथ को
स्पष्ट दर्शाने के लिए उसे पार्श्व में न दिखाकर थोड़ा सामने की
तरफ दिखाया है। 4. कुछ मुद्राएँ स्वरूप के अनुसार दिखाई नहीं जा सकती है अत: उनकी ___यथावत् आकृति नहीं बन पाई हैं। 5. कुछ मुद्राएँ स्वरूप के अनुसार बनने के बावजूद भी चित्र में स्पष्टता
नहीं उभर पाई हैं। 6. कुछ मुद्राओं के चित्र अत्यन्त कठिन होने से नहीं बन पाए हैं। __• मुद्रा विधि के छठवें खण्ड में योग साधना प्रधान मुद्राओं की विवेचना की गई है। यह शोध खण्ड पाँच अध्यायों में गुम्फित है।
प्रथम अध्याय में चक्र एवं केन्द्रादि के संतुलित-असंतुलित रहने पर उनसे होने वाले परिणामों की चर्चा की गई है।
द्वितीय अध्याय में सामान्य अभ्यास द्वारा जिन मुद्राओं को सिद्ध किया जा सकता है उनका सोद्देश्य वर्णन किया गया है।
तृतीय अध्याय में विशिष्ट प्रकारके अभ्यास द्वारा जिन मुद्राओं पर अधिकार पाया जा सकता है, ऐसी हठयोग सम्बन्धी मुद्राओं का विवेचन किया गया है।
यद्यपि जैन या अन्य परम्पराओं में भी यौगिक मुद्राएँ हैं परन्तु वहाँ उनका अस्तित्व स्वतंत्र नहीं है। वे अन्य प्रासंगिक मुद्राओं के साथ सम्मिलित है। इस खण्ड में जिन यौगिक मुद्राओं का उल्लेख है वे मुख्यतया हठयोग सम्बन्धी और दुःसाध्य है। . चौथे अध्याय में चिकित्सा उपयोगी यौगिक मुद्राओं का चार्ट दिया गया है, जो शारीरिक एवं आध्यात्मिक दोनों दृष्टियों से अनुसरणीय है।
पाँचवाँ अध्याय परिशिष्ट के रूप में है जिसमें सर्वप्रथम सहायक ग्रन्थसूची दी गई है। उसके पश्चात् मुद्रा प्रभावित चक्रादि के यन्त्र व चित्र दिये गये हैं और विशिष्ट शब्दों का अर्थ विन्यास किया गया है।