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भगवान बुद्ध की मुख्य 5 एवं सामान्य 40 मुद्राओं की...
भगवान बुद्ध की पाँच मुद्राएँ
भगवान बुद्ध ने अपने जीवन में अनेक मुद्राओं की शोधनी की थी, उनमें पाँच मुख्य कही जाती है क्योंकि इन मुद्राओं को उन्होंने स्व-पर कल्याणार्थ कई बार धारण किया था। उन मुद्राओं की प्रयोग विधि इस प्रकार है
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1. अभय मुद्रा
जिस मुद्रा को दर्शाने से भय का वातावरण समाप्त हो जाता है उसे अभय मुद्रा कहते हैं। बौद्ध ग्रन्थों के अनुसार भगवान बुद्ध ने इस मुद्रा को धारण किया था तथा भगवान बुद्ध की 40 मुद्राओं में से यह 14वीं मुद्रा हैं। आज यह मुद्रा थेरपद बौद्ध परम्परा में थायलैण्ड में धारण की जाती है। दर्शाये चित्र के अनुसार यह पानी को रोकने की सूचक मुद्रा है। यह संयुक्त मुद्रा दोनों हाथों से प्रयुक्त होती है। विधि
हथेलियों को शिथिल रखते हुए दोनों हाथों को छाती या कंधे के स्तर पर धारण करें तथा अंगुलियों और अंगूठों को परस्पर स्पर्शित एवं ऊर्ध्वप्रसरित रखने पर अभय मुद्रा बनती है।
अभय मुद्रा