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________________ 32... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन दीपक, छठवें में पानी और सातवें में नैवेद्य रखते हैं। प्रथम प्याले का पानी पद्यम के लिए, दूसरे प्याले का पानी चेहरे के लिए, पुष्प और धूप वातावरण को मनोरम एवं हर्ष अभिव्यक्ति के लिए, दीपक प्रकाश के लिए तथा जल और नैवेद्य अर्पण के लिए प्रयुक्त होते हैं। ___ कई वैधानिक क्रियाओं में आठ यशस्वी आहूतियाँ भी दी जाती है जो किसी समय स्वयं शाक्य मुनि को अर्पित की गई थी। कुछ विधानों में पाँच इन्द्रिय विषयों के प्रतीक रूप में दर्पण (रूप), शंख (शब्द), जायफल (गंध), शक्कर (रस) और रेशमी पीला वस्त्र (स्पर्श) रखा जाता है। बौद्ध धर्म में लगभग 500 देवी-देवता हैं जिनके विषय में सामान्य वर्णन भी प्राप्त होता है। इन्हें मुख्यतया छ: भागों में बांटा गया है- 1. बुद्ध 2. बोधिसत्त्व 3. देवी-देवता 4. रक्षक देव 5. सत्य के रक्षक देव और 6. निम्न स्तर के देव। ___ उपर्युक्त देवी-देवताओं को प्रसन्न रखने हेतु मण्डल एवं होमादि क्रियाएँ की जाती हैं जो अनेक तरह की मुद्राओं के द्वारा सम्पूर्ण होती हैं। भगवान बुद्ध की मूर्तियों में मुख्य रूप से पाँच मुद्राएँ उपलब्ध होती है1. ध्यान मुद्रा 2. व्याख्यान मुद्रा 3. अभय मुद्रा 4. धर्मचक्र मुद्रा और 5. भूमिस्पर्श मुद्रा। ___भगवान बुद्ध से सम्बन्धित 40 मुद्राओं का वर्णन भी उपलब्ध होता है। इन मुद्राओं की खोज राजा राम- III फ्रा बुद्ध योट फ्रा (राम-I) के वंशज ने की थी। इसी के साथ सप्तरत्न, अष्टमंगल, अठारह कर्तव्य, बारह द्रव्य हाथ मिलन, मम मडोस् आदि की विशेष मुद्राएँ, विभिन्न देवी-देवता संबंधित मुद्राएँ तथा गर्भधातुमण्डल, वज्रधातुमण्डल, होम आदि में प्रयुक्त मुद्राएँ भी प्राप्त होती हैं। ___ उक्त विवेचन से ज्ञात होता है कि बौद्ध परम्परा में मुद्राओं का प्रचलन आदिम युग से रहा है। उनके प्राचीन साहित्य में तत्सम्बन्धी आलेख स्पष्टतः प्राप्त होते हैं।
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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