________________
428... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
त्रिशूल मुद्रा-2
संतुलन में सहायक बनती है। यह मुद्रा शारीरिक ऊर्जा एवं जैविक विद्युत का संचय गृह है। साधना की दृष्टि से आध्यात्मिक उन्नति में सहायक बनती है। 100. उपकेशिनी मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा जापानी बौद्ध की धार्मिक क्रियाओं में मंत्र पठन के साथ उपासक या पुजारी द्वारा धारण की जाती है। यह मुद्रा अपने नाम के अनुसार उपकेशिनी देवता से सम्बन्धित है। शेष वर्णन पूर्ववत। विधि
इस असंयुक्त मुद्रा में एक हाथ की तीन अंगुलियाँ मुड़ी होती है, अंगूठा अंगुलियों के ऊपर रखा होता है तथा मध्यमा अंगुली सीधी ऊपर की दिशा में रहती है।119