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374... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन कार्य करती है और ज्ञान तंतुओं को बल प्रदान करती है। • एक्युप्रेशर चिकित्सा के अनुसार व्यक्ति के समग्र विकास, बालकों के चारित्रिक विकास एवं आध्यात्मिक चेतना के जागरण में यह मुद्रा विशेष सहायक बनती है। 55. काजि-कौ-सुइ-इन् मुद्रा
यह मुद्रा सुगंधित जल को पवित्र करने, उसे समर्पित करने या अभिषेक करने के उद्देश्य से की जाती है। शेष वर्णन पूर्ववत। यह एक हाथ से की जाने वाली मुद्रा है। इसमें दायें हाथ में पद्म मुष्टि बनाई जाती है और उसमें एक भुजा वाला वज्र धारण किया जाता है।66
काजि-की-सह-इन् मुद्रा सुपरिणाम
• इस मुद्रा का प्रयोग अग्नि, पृथ्वी एवं जल तत्त्वों को संतुलित करता है। यह शरीरस्थ रासायनिक परिवर्तनों को नियंत्रित करती है, व्यक्तित्व विकास में सहायक बनती है और शरीर को बलशाली, तंदुरूस्त एवं सुंदर बनाती है। • मणिपुर, मूलाधार एवं स्वाधिष्ठान चक्र को प्रभावित कर शारीरिक स्वस्थता,