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316... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
बु-जी-इन् मुद्रा
अभिसंचरण, श्वसन क्रिया, मल-मूत्र की गति आदि का नियमन करती है, शारीरिक संतुलन बनाए रखती है और अनहद आनंद एवं शांति की प्राप्ति करवाती है।
• अनाहत एवं सहस्रार चक्र को जागृत कर यह मुद्रा बालकों के विकास एवं नियंत्रण में सहायक बनती है तथा जल तत्त्व एवं शेष ग्रंथियों का संतुलन करती है।
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एक्युप्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार यह समस्त शरीर के पोषण एवं शक्ति वर्धन में सहायक बनती है, अनेक दिव्यगुणों एवं कलाओं को विकसित करती है तथा बालकों में रोग प्रतिरोधात्मक शक्ति का विकास करती है।
15. चकपुर मुद्रा
भारत में इस तान्त्रिक मुद्रा को मूल गुह्य मुद्रा भी कहते हैं। यह मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा के अनुयायियों द्वारा मान्य है तथा गर्भधातु मण्डल, वज्रधातु मण्डल, होम आदि धार्मिक क्रियाओं के उद्देश्य से की जाती है। इसे