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314... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
• मणिपुर एवं मूलाधार चक्र को जागृत कर यह मुद्रा मधुमेह, कब्ज, अपच आदि रोगों में लाभ पहुँचाती है।
• एड्रिनल, पेन्क्रियाज एवं कामग्रंथियों के स्राव को संतुलित कर बी.पी, पित्त प्रकृति, एसिडिटी, उल्टी, सिरदर्द, रक्त शर्करा, शारीरिक गर्मी, मासिक स्राव आदि को नियंत्रित करती है तथा व्यक्ति को साहसी, निर्भयी, सहनशील एवं आशावादी बनाती है। 13. बू-मौ-इन् मुद्रा
यह मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा में गर्भधातु मण्डल, वज्रधातु मण्डल, होम आदि धार्मिक क्रियाओं को सुसम्पादित करने के प्रयोजन से की जाती है। यह बुद्ध के पाँच नेत्रों की सूचक है।
विधि
बू-मी-इन् मुद्रा दोनों हाथों को मध्यभाग में निकट रखें, अंगूठों को ऊर्ध्व प्रसरित कर उनकी बाह्य किनारियों को मिलायें, मध्यमा और अनामिका को ऊपर की ओर उठाते हुए अग्रभागों को परस्पर संयुक्त करें, तर्जनी को किंचित मोड़ते हुए उनके