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264... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
अनुसार यह पित्ताशय, लीवर, रक्त परिभ्रमण, रक्तचाप, प्राण वायु का संतुलन कर चारित्र गठन करती है तथा नाभि खिसकने से सम्बन्धित समस्याओं का समाधान करती है।
71. वज्र मुद्रा
इन्द्र का प्रमुख शस्त्र वज्र कहलाता है। बौद्ध मत में चक्राकार चिह्न को वज्र. कहा गया है। प्रायः सभी परम्पराओं में वज्र मुद्रा के उल्लेख प्राप्त होते हैं। जापानी बौद्ध परम्परा में इसके निम्नोक्त दो प्रकार प्रचलित हैं
प्रथम प्रकार
युगल हाथों को समीप कर हथेलियों, अंगूठों और कनिष्ठिकाओं की बाह्य किनारियों को मिलायें, इस बीच में एक पोला सा स्थान रखें, अनामिका को हथेली तरफ मोड़ें तथा मध्यमाओं को अग्रभाग से जोड़ने पर वज्र मुद्रा का प्रथम प्रकार बनता है।80
वज्र मुद्रा- 1
सुपरिणाम
• इस मुद्रा को धारण करने से वायु तत्त्व नियंत्रित रहता है । छाती, फेफड़ें, हृदय एवं थायमस ग्रंथि स्वस्थ रहती है। • यह मुद्रा आज्ञा एवं अनाहत चक्र को