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जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ...247 विधि
___दायें हाथ को मुट्ठी रूप में बनाकर अंगूठे को तर्जनी के मुड़े हुए स्थान पर रखने से रेंजे-केन्-इन् मुद्रा बनती है।64
रेंजे-केन-इन् मुद्रा
सुपरिणाम ...चक्र- मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- अग्नि एवं जल तत्त्व अन्थिप्रजनन,एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थि केन्द्र- तैजस एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, यकृत, तिल्ली, आतें, नाड़ी तंत्र एवं पाचन तंत्र। 57. रूप मुद्रा
जापानी बौद्ध परम्परा में यह मुद्रा विविध कार्यों के उद्देश्य से धारण की जाती है। शेष वर्णन पूर्ववत।