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238... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन 49. नीव-इन् मुद्रा
यह मुद्रा जापान और चीन की बौद्ध परम्परा में विशेष रूप से देखी जाती है। यह ‘अन्-आय्-इन्' मुद्रा का प्रकारान्तर है। इस मुद्रा का प्रयोग तुष्टिकरण के लिए किया जाता है तथा इसे छाती के स्तर पर धारण करते हैं।
विधि
नीव-इन् मुद्रा उभय हथेलियों को बाहर की तरफ करते हुए अंगूठों के प्रथम पोर को मध्यमा के प्रथम पोर से स्पर्श करवायें, तर्जनी और अनामिका को अन्दर की तरफ झुकायें, बायें हाथ को कलाई पर क्रॉस करता हुआ रखें तथा कनिष्ठिका परस्पर में गूंथी हुई रहने पर 'नीव-इन्' मुद्रा बनती है।56 सुपरिणाम
• वायु तत्त्व को संतुलित करते हुए यह मुद्रा प्राण वायु को स्थिर करती है। फेफड़ें, हृदय, गुर्दै आदि पर विशेष प्रभाव डालती है। स्मरण शक्ति की क्षमता एवं नजाकत का पोषण करती है। • अनाहत एवं आज्ञा चक्र को जागृत कर शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक विकास में सहायता प्रदान करती है। बुद्धि