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जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ... 235
नैबकु- केन्-इन् मुद्रा - 1
सुपरिणाम
नैबकु- केन्-इन् मुद्रा मणिपुर, अनाहत एवं आज्ञा चक्र को गति एवं सक्रियता प्रदान करती है। इन चक्रों के जागरण से शारीरिक रक्त विकार, हृदय विकार, पाचन विकार आदि दूर होते हैं। इससे त्रैकालिक ज्ञान, भाव संप्रेषण आदि में सहायता प्राप्त होती है। • यह मुद्रा शरीरस्थ अग्नि, वायु एवं आकाश तत्त्वों का संतुलन करते हुए अग्निरस, पाचकरस एवं पित्तरस को उत्पन्न करती है। शरीर के प्रमुख संरक्षक एवं सहकारी बल को उत्पन्न करती है तथा मानसिक चेतनाओं का पोषण करती है । • एड्रिनल, थायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं पीयूष ग्रन्थि के स्राव को नियमित करती है। यह प्रतिरोधक शक्ति का विकास करते हुए साधक को एलर्जी एवं रोगों से बचाती है तथा समत्व गुण का पोषण कर जीवन को तनाव मुक्त एवं उत्साह युक्त बनाती है।